Mar 6, 2009

शेर-ओ-शायरी

इन नशीली आंखों के मैखाने ,
से पिलाते रहो जाम
इन रेशमी जुल्फों के तले ,
बिता करे हर शाम
ऐ शमाँ ! ये तमना मेरी नहीं है
ऐ शमाँ ! ये तमना मेरी नहीं है
ये उन परवानों की है ,
जो देते हैं तुझ पर जान

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